पूर्ण परमात्मा कौन है
आज हर कोई प्राणी इस काल लोक में परेशान है अर्थात हम जिस पृथ्वी पर रह रहे है इसे मृत्यु लोक भी कहा जाता है यहां सुख नाम की कोई वस्तु है ही नही । और जिसे हम सुख मान रहे है वो सुख झूठा है । जब मानव चारो और से दुखी हो जाता है तो वह भगवान की और बढ़ता है
लेकिन कहि पर भी सत्य साधना न मिलने के कारण नकली धर्मगुरुओं , नकली पंडितो, नकली ब्राह्मण द्वारा मानव बतायी क्रियाए करने पर भी दुखो व परेशानियों का समाधान न होने के कारण वह निराश हो जाता है और नास्तिकता पर चला जाता है और उन्हें कह दिया जाता है कि पाप कर्म तो भोगने से ही दूर होंगे ।
जबकी यह गलत धारणा है।
परमेष्वर के विधान में लिखा है कि भगवन घोर पाप को भी नाश कर देता है।
अतः सबसे पहले मानव को जानना होगा कि पूर्ण परमात्मा कौन है जो वास्तव में हमे सुख दे सकता है जिनका गुणगान वेद करते है।
जिन भगवानों की दुनिया भक्ति पूजा करती है यानी ब्रह्मा , विष्णु, महेश(शिव) की क्या इनकी लीलाएं , इनकी जीवनी वेदों से खरी उतरती है ?
क्या वेदों में इनका प्रमाण है ?
क्योंकि वेदों को हम पवित्र मानते है जो कि आदि सनातन है जिनका सार रूप में श्रीमद्भागवत गीता जी है
वेद कहते है कि वो परमात्मा कभी किसी माता के गर्भ से जन्म नही लेता वह अजन्मा है
और
वेद यह भी कहते है वो परमात्मा शिशु रूप धारण करके इस काल लोक में आता है अपने तत्वज्ञान को देने, जीव को इस काल की बन्ध से छुड़वाने के लिए तो उनके बचपन की परवरिश की लीला कुंवारी गायों के दूध से होती है।
यह लीला जिसने की वह भगवान हुआ।
यह लीला केवल और केवल कबीर साहेब ने ही कि हे जिससे भी सिद्ध होता है कि कबीर साहेब ही भगवान है Kabir Is God जो अजर अमर है । नाशवान नही है।
ऐसे ढेरो प्रमाण है कि कबीर साहेब ही भगवान है Kabir Is God
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