Wednesday, July 8, 2020

Real Education (शिक्षा का सही अर्थ)


वास्तविक शिक्षा ( Real education )

आज के युग मे शिक्षा इतनी जरूरी हो गयी है कि शिक्षित होकर आज मानव भले बुरे को समझ सका है और जान सका है कि शिक्षा के क्या क्या फायदे है।
शिक्षित होकर समाज मे सम्मान के साथ साथ नाम भी होता है।

शिक्षा की जरूरत-

शिक्षा से मानव का व्यक्तित्व संपूर्ण, विनम्र और
संसार के लिए उपयोगी बनता है। सही शिक्षा से
मानवीय गरिमा, स्वाभिमान और विश्व बंधुत्व में
बढ़ोतरी होती है।
विद्यार्थियों को शिक्षा के माध्यम से जीवन में और
व्यवहार में सच्चाई की शिक्षा मिलती है।
विज्ञान मानवता को ईश्वर का सबसे बड़ा वरदान है। हम विज्ञान, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, राजनीति,
नीति-निर्माण, धर्मशास्त्र, न्याय जैसे किसी क्षेत्र में
कार्यरत रहें, हमें आम लोगों की सेवा करनी ही होगी,

लेकिन क्या मानव आज वास्तव में शिक्षा का सदुपयोग कर रहा है?
क्या शिक्षा ने मानव को लोभी लालची बना दिया ?
क्या शिक्षा ने समाज संस्कृति को खोखला कर दिया ?
आखिर क्यों शिक्षा पहले नही हुआ करती थी क्यो केवल उच्च वर्ण के लोग ब्राह्मण शिक्षा ग्रहण किया करते थे?
और क्यों अब यह शिक्षा इतने तेजी से कलयुग के इस समय मे बढ़ रही है ।

शिक्षा का उद्देश्य

यदि शिक्षा प्राप्त करके मानव परमात्मा की खोज नही करता तो यह शिक्षा व्यर्थ है।
शिक्षा का उद्देश्य केवल भगवान को पहचाना ही है लेकिन मानव ने शिक्षा को केवल धन प्राप्ति का जरिया मान लिया और अधिक धन के कारण पाप कर्मों को बढ़ा लिया ।
शिक्षा ने मानव को अहंकारी व मर्यादा हीन बना दिया। आज शिक्षा का उद्देश्य यही बना लिया है कि बढ़िया शिक्षा ग्रहण करके बढ़ा, अधिकारी, बढ़ा पैसे वाला बनू, बहुत पैसे कमाऊ , खूब ऊपर का पैसा कमाऊ।
यही सोच रहती के बढ़ा अधिकारी बनू, MP, MLA बनू, IAS IPS  बनू, मंत्री बनू बहुत पैसे आये ।
सिर्फ माया यानी पैसा जोड़ना ही उद्देश्य रह जाता है।
क्या यही उद्देश्य है शिक्षा का ?
नही।
यह कार्य तो एक गोबर का भुंड भी किया करता है
जो केवल गोबर इकठ्ठा करने में ही अपना जीवन लगा देता है और अंत मे उसी में मर जाता है। ऐसे ही आज मानव यह माया जोंडने में सारी उम्र लगा देता है और दो नम्बर का काम करके रिष्वत लेकर, ठगी करके, झूठ कपट करके ,दुसरो को धोखा देकर पैसे इकट्ठा करते है और मर जाते है पैसे वही रह जाते है और साथ पाप की बोरी भर कर ले जाते है।
और फिर उसे अगले जन्म में पशु या अन्य जीव बनकर उसे पूरा करना पड़ेगा।
परमात्मा बताते है कि
तुमने उस दरगह का मेल न देख्या,
   धर्मराज के तिल तिल का लेखा।।

भगवान ने शिक्षा इसलिए दी है ताकि आप भगवान पहचान सको क्योंकि शिक्षित होने से आप पवित्र शास्त्रो को देख सकते हो कि कौन है भगवान ।
क्योंकि पहले शिक्षा के अभाव में शास्त्रो को जैसे बताया गया मान लिया उनमें जो सत्य ज्ञान था वो नही मिला जो बताते है कि पूर्ण परमात्मा कबीर है
जो हर युग मे आते है और तत्वदर्शी संत की भूमिका भी करते है ।
अतः शिक्षा के मूल उद्देश्य को जानो और अपना कल्याण करवाओ


अतः आज वही पूर्ण परमात्मा संत रूप में स्वयं आये है जो कि संत रामपाल जी महाराज स्वयं है कहने में अजीब लगेगा लेकिन जब आप इस तत्वज्ञान से परिचित होंगे तो जान जाओगे की पूर्ण सन्त कौन है।
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इन पवित्र पुस्तको से आप जानोगे कि
सृष्टि की रचना कैसे हुई?
हम जन्म से पहले कहां रहा करते थे?
हम क्यों पैदा होते हैं, हम क्यों मरते हैं और मरने के बाद कहां जाते हैं?
क्या कोई ऐसा सुखमय स्थान है जहां जाने के बाद कभी मृत्यु नहीं होती, न बुढापा आता, जहां किसी वस्तु का अभाव नहीं, जहां कोई काम नहीं करना पड़ता?
इतनी भक्ति करने के बाद भी हम दुखी क्यों हैं, आपदाएं क्यों आती हैं?
कौन हमें इन दुखों से आज़ादी दिला सकता है?
कौन है इस आत्मा का असली रक्षक?

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