Wednesday, August 5, 2020

BhaiDooj

भाई दूज 
(बहन-भाई का पवित्र रिश्ता)

भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल  पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला हिन्दू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। भाई दूज मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं है तथा कई मान्यताएं है जिस कारण से इसे मनाया जाता है यह होली के बाद भी, दीवाली के बाद भी मनाया जाता है ।
भाई दूज मनाने के पीछे कारण
जैसे कि बताया है कि इसके पीछे कई मान्यताएं है ।यह त्यौहार भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती हैं, उसे तिलक लगाती है, आरती करती है तथा उसकी मंगलकामना करती है । 

भाई भी बहन को उसकी रक्षा का व उसके सुख दुख में साथ रहने, उसकी मदद करने का वचन देता है। ऐसे माना जाता है कि बहन के घर जाकर उसके हाथ का बना खाना भाई खाता है और बदले में उसे उपहार भी देता है।
यह त्यौहार रक्षाबंधन की तरह ही है

क्या भाई दूज- रक्षाबंधन से भाई की रक्षा होती है?🤔
भाई दूज व रक्षाबंधन मनाने व रक्षाबंधन मनाने रक्षाबंधन मनाने से क्या वास्तव में भाई की रक्षा होती है?
क्या वास्तव में बहन की रक्षा होती है?
क्योंकि यह त्यौहार जिस कारण से मनाया जाते हैं वह कारण कुछ और था ,कुछ मान्यताएं रही ।
लेकिन क्या आज भाइयों की रक्षा , बहनों की रक्षा वास्तव में हो पाती है जबकि यह तो केवल एक पौराणिक मान्यताएं ही हैं जिसे याद के तौर पर मनाया जाने लगा और एक त्यौहार का रूप ले लिया। जबकि हम जानते हैं कि मनुष्य के पाप कर्म जब तक नहीं कटते तब तक हमारी रक्षा व सुख हमे नही मिल सकते। आज वर्तमान में कितने भाई और कितनी बहन मृत्यु को प्राप्त हो जाती है अर्थात हत्याएं हो जाती है, तो फिर उनकी रक्षा क्यों नहीं होती?
क्यों आज जब किसी बहन बेटी का बलात्कार होता है, छेड़छाड़ होती है तो क्यों उनकी रक्षा नही होती ?
क्या वो ह्रदय से भगवान की पुकार नही करती होंगी?
क्या उनकी भक्ति इतनी भी नही कि उनकी रक्षा हो?
क्या उस समय कोई भाई उसे बचा सकता है? नही!
क्यों उनका बचाऊ नहीं होता जबकि वह इतनी आस्था से इन त्योहारों को मनाती है।
क्या वास्तव में यह त्यौहार मनमाना आचरण है?
क्या वास्तव में यह त्यौहार शास्त्र विरुद्ध है?
किस कारण से उन्हें लाभ नहीं मिल पाता ।
तो फिर कैसे हो भाई-बहन, परिवार की रक्षा?

इतने सारे प्रश्न चिन्ह❓❓ खड़े होते है हमारे समक्ष लेकिन पूर्ण समाधान नही होता केवल दंत कथा सुना दी जाती है।
आखिर क्यों हुई द्रोपदी की रक्षा, कैसे प्रह्लाद की रक्षा हुई ?
कौन है वो सच्चा रक्षक?
क्या आज भगवान बदल गया ?
तो क्या कारण है इन सबका ?

ऐसे हो सकती है हमारी रक्षा 👇
द्रोपदी की रक्षा हुई, प्रह्लाद की रक्षा हुई
मीरा बाई की रक्षा हुई । वह सबका रक्षक जो सबकी रक्षा करता है जिसे गीता अध्याय 15 के श्लोक 17 में सर्वश्रेष्ठ परमात्मा कहा गया है जो तीनों लोको में प्रवेश करके सबका धारण पोषण करता है जो वास्तव में परमेष्वर कहा गया है जो है हमारा वास्तविक रक्षक जिसे परम अक्षर ब्रह्म कहा गया है। जिसका वास्तविक नाम "कबीर (कविर्देव) " है। जिसने कृष्ण रूप में द्रोपदी की इज्जत बचाई, मीरा बाई की रक्षा करी , नरसिंह रूप बनाया। 
वो है हमारा रक्षक 
जिसकी जानकारी तत्वदर्शी सन्त बताते है जो आज वर्तमान में जगत गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण संत है जो वास्तविक भक्ति उस पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की बताते है जिनसे नाम उपदेश लेकर मर्यादा में रहकर भक्ति करने से आज लाखो बहन बेटी सुरक्षित जीवन जी रही है । क्योंकि  शास्त्रानुकूल भक्ति ही लाभदायक होती है जिस कारण से परमात्मा रक्षा करता है।
अगर वात्सव में रक्षाबंधन , भाई दूज मनानी है तो उस पूर्ण सन्त से नाम उपदेश लेकर भक्ति करने से यह सच्चा रक्षाबंधन मनता है अर्थात सच्ची भक्ति से लाभ मिलता है।
अतः आज वही पूर्ण परमात्मा संत रूप में स्वयं आये है जो कि संत रामपाल जी महाराज स्वयं है कहने में अजीब लगेगा लेकिन जब आप इस तत्वज्ञान से परिचित होंगे तो जान जाओगे की पूर्ण सन्त कौन है।
अधिक जानकारी के लिए देखिए सत्संग साधना tv 7:30 pm
तथा निशुल्क पवित्र पुस्तके ज्ञान गंगाजीने की राहगीता तेरा ज्ञान अमृतभक्ति से भगवान, आदि पुस्तके प्राप्त करे और निशुल्क नाम उपदेष लेकर अपना कल्याण करवाये।

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www.jagatgururampalji.org

इन पवित्र पुस्तको से आप जानोगे कि
सृष्टि की रचना कैसे हुई?
हम जन्म से पहले कहां रहा करते थे?
हम क्यों पैदा होते हैं, हम क्यों मरते हैं और मरने के बाद कहां जाते हैं?
क्या कोई ऐसा सुखमय स्थान है जहां जाने के बाद कभी मृत्यु नहीं होती, न बुढापा आता, जहां किसी वस्तु का अभाव नहीं, जहां कोई काम नहीं करना पड़ता?
इतनी भक्ति करने के बाद भी हम दुखी क्यों हैं, आपदाएं क्यों आती हैं?
कौन हमें इन दुखों से आज़ादी दिला सकता है?
कौन है इस आत्मा का असली रक्षक?

इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको ऊपर बतायी Books में अवश्य मिलेंगे । जिसे आप पुस्तक के नाम पर क्लिक करके निशुल्क डाऊनलोड कर सकते है।
पुस्तक पढ़ने के बाद यदि आप परमात्मा से वास्तविक लाभ प्राप्त करने के लिए तथा मनुष्य जीवन को सफल बनाने के लिए पूर्ण संत रामपाल जी महाराज जी से नामदान लेना चाहते हैं तो इस लिंके पर Click करके Form भरिये

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 भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला हिन्दू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। भाई दूज मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं है तथा कई मान्यताएं है जिस कारण से इसे मनाया जाता है यह होली के बाद भी, दीवाली के बाद भी मनाया जाता है ।

भाई दूज मनाने के पीछे कारण
जैसे कि बताया है कि इसके पीछे कई मान्यताएं है ।यह त्यौहार भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती हैं, उसे तिलक लगाती है, आरती करती है तथा उसकी मंगलकामना करती है । भाई भी बहन को उसकी रक्षा का व उसके सुख दुख में साथ रहने, उसकी मदद करने का वचन देता है। ऐसे माना जाता है कि बहन के घर जाकर उसके हाथ का बना खाना भाई खाता है और बदले में उसे उपहार भी देता है।
यह त्यौहार रक्षाबंधन की तरह ही है

क्या भाई दूज- रक्षाबंधन से भाई की रक्षा होती है?🤔
भाई दूज व रक्षाबंधन मनाने व रक्षाबंधन मनाने रक्षाबंधन मनाने से क्या वास्तव में भाई की रक्षा होती है?
क्या वास्तव में बहन की रक्षा होती है?
क्योंकि यह त्यौहार जिस कारण से मनाया जाते हैं वह कारण कुछ और था ,कुछ मान्यताएं रही ।
लेकिन क्या आज भाइयों की रक्षा , बहनों की रक्षा वास्तव में हो पाती है जबकि यह तो केवल एक पौराणिक मान्यताएं ही हैं जिसे याद के तौर पर मनाया जाने लगा और एक त्यौहार का रूप ले लिया। जबकि हम जानते हैं कि मनुष्य के पाप कर्म जब तक नहीं कटते तब तक हमारी रक्षा व सुख हमे नही मिल सकते। आज वर्तमान में कितने भाई और कितनी बहन मृत्यु को प्राप्त हो जाती है अर्थात हत्याएं हो जाती है, तो फिर उनकी रक्षा क्यों नहीं होती?
क्यों आज जब किसी बहन बेटी का बलात्कार होता है, छेड़छाड़ होती है तो क्यों उनकी रक्षा नही होती ?
क्या वो ह्रदय से भगवान की पुकार नही करती होंगी?
क्या उनकी भक्ति इतनी भी नही कि उनकी रक्षा हो?
क्या उस समय कोई भाई उसे बचा सकता है? नही!
क्यों उनका बचाऊ नहीं होता जबकि वह इतनी आस्था से इन त्योहारों को मनाती है।
क्या वास्तव में यह त्यौहार मनमाना आचरण है?
क्या वास्तव में यह त्यौहार शास्त्र विरुद्ध है?
किस कारण से उन्हें लाभ नहीं मिल पाता ।
तो फिर कैसे हो भाई-बहन, परिवार की रक्षा?

इतने सारे प्रश्न चिन्ह❓❓ खड़े होते है हमारे समक्ष लेकिन पूर्ण समाधान नही होता केवल दंत कथा सुना दी जाती है।
आखिर क्यों हुई द्रोपदी की रक्षा, कैसे प्रह्लाद की रक्षा हुई ?
कौन है वो सच्चा रक्षक?
क्या आज भगवान बदल गया ?
तो क्या कारण है इन सबका ?

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वो है हमारा रक्षक 
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अतः आज वही पूर्ण परमात्मा संत रूप में स्वयं आये है जो कि संत रामपाल जी महाराज स्वयं है कहने में अजीब लगेगा लेकिन जब आप इस तत्वज्ञान से परिचित होंगे तो जान जाओगे की पूर्ण सन्त कौन है।
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Wednesday, July 15, 2020

Naag panchami (नाग पंचमी)

नाग पंचमी

नाग पंचमी हिंदुओं के त्योहारों में एक महत्वपूर्ण त्योहार बताया जाता है यह त्यौहार सावन महीने के  शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है 
इस दिन नाग देवता ( सांप) की पूजा की जाती है और उन्हें दूध पिलाने का प्रचलन भी है जबकि यह दूध पिलाने का प्रचलन गलत ही चल पड़ा । केवल यह सुना जाता है कि केवल  नागों को दूध से स्नान कराया जाता है या उनकी पत्थर की चित्रकारी पर दूध चढ़ाया जाता है। वेसे भी नाग को दूध पिलाने से पाचन सही नहीं हो पाने से उनकी मृत्यु भी हो जाती है। सुना जाता है नागों को दूध पिलाने को नहीं बल्कि दूध से स्नान कराने को कहा गया है।

क्या यह नाग पूजा(नाग पंचमी) लाभदायक है?


नाग पंचमी के पीछे कई कथाएं है लेकिन यह कथाएं केवल किसी के साथ हुई घटना के सयोंग वश हुई या उनके संस्कारवश होने के कारण घटित हो गई और उसे लोग याद के तौर पर मनाने लग गये और आगे चलकर एक त्यौहार का रूप ले लिया गया,,
 ऐसे हो सकता है।
लेकिन यह नाग पंचमी न तो किसी वेदों में वर्णित है, न भगवद्गीता में वर्णित है जिस कारण यह शास्त्रविरुद्ध होने से लाभदायक नही है जिस कारण से कई लोग अंधविश्वास में अपनी जान गवा देते है और किसी के साथ कोई शुभ संस्कार वश जीवन शेष होने से जान बच जाती है और लोग उसे चमत्कार मान लेते है ।
अतः शास्त्रविरुद्ध भक्ति की मनाही गीता में भी की गई है। अध्याय 16 श्लोक 23-24 में मना किया है कि जो शास्त्र विधि त्याग कर मनमाना आचरण (पूजा) करते हैं वे न तो सुख को प्राप्त करते हैं न परमगति को तथा न ही कोई कार्य सिद्ध करने वाली सिद्धि को ही प्राप्त करते हैं अर्थात् जीवन व्यर्थ कर जाते हैं। इसलिए अर्जुन तेरे लिए कर्तव्य (जो साधना के कर्म करने योग्य हैं) तथा अकर्तव्य(जो साधना के कर्म नहीं करने योग्य हैं) की व्यवस्था (नियम में) में शास्त्र ही प्रमाण हैं। 

कबीर साहेब God Kabir कहते है
माटी का एक नाग बनाके,           पुजे लोग लुगाया।
जिंदा नाग जब घर मे    निकले,ले लाठी धमकाया।।
        रे भोली सी दुनिया सद्गुरु बिन कैसे सरिया।।

वास्तव में कबीर साहेब God Kabir ही पूर्ण परमात्मा है जो सत्य ज्ञान बताया करते थे और आज भी वही ज्ञान दे रहे है।
एक तरफ नाग पंचमी में नाग देवता को मानते हैं और उसकी पूजा करते हैं और वहीं दूसरी तरफ वही नाग (सर्प) अगर सामने आ जाए या घर में निकल जाए तो उसे लाठी से मारने दौड़ते हैं । मानव की बुद्धि हरि जा चुकी है जो मनमाने शास्त्रविरुद्ध साधना पर लगकर अपना जीवन व्यर्थ गवां रहा है ।
वास्तव में यह शास्त्रा विरुद्ध पूजा भक्ति है।

ऐसे दूर होगी यह अंधभक्ति व अंधविश्वास

आज वर्तमान में यह पाखण्ड का नाश कर रहे है संत रामपाल जी महाराज और शास्त्र अनुकूल भक्ति बताकर मानव का कल्याण कर रहे है। जैसे कबीर साहेब ने भी यही किया था और उनके साथ समाज ने , अज्ञानी धर्मगुरुवो व पंडितो ने कबीर साहेब का घोर विरोध किया था जो आज संत रामपाल जी महाराज के साथ कर रहे है । लेकिन अब समाज शिक्षित होने से शास्त्रो को समझ रहा है और अंधभक्ति त्याग कर शास्त्र अनुकूल भक्ति करके अपना कल्याण करवा रहा है। आज मानव जान चुका है कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा है Kabir Is God.
अतः आज वही पूर्ण परमात्मा संत रूप में स्वयं आये है जो कि संत रामपाल जी महाराज स्वयं है कहने में अजीब लगेगा लेकिन जब आप इस तत्वज्ञान से परिचित होंगे तो जान जाओगे की पूर्ण सन्त कौन है।
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सृष्टि की रचना कैसे हुई?
हम जन्म से पहले कहां रहा करते थे?
हम क्यों पैदा होते हैं, हम क्यों मरते हैं और मरने के बाद कहां जाते हैं?
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इतनी भक्ति करने के बाद भी हम दुखी क्यों हैं, आपदाएं क्यों आती हैं?
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कौन है इस आत्मा का असली रक्षक?
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Wednesday, July 8, 2020

Real Education (शिक्षा का सही अर्थ)


वास्तविक शिक्षा ( Real education )

आज के युग मे शिक्षा इतनी जरूरी हो गयी है कि शिक्षित होकर आज मानव भले बुरे को समझ सका है और जान सका है कि शिक्षा के क्या क्या फायदे है।
शिक्षित होकर समाज मे सम्मान के साथ साथ नाम भी होता है।

शिक्षा की जरूरत-

शिक्षा से मानव का व्यक्तित्व संपूर्ण, विनम्र और
संसार के लिए उपयोगी बनता है। सही शिक्षा से
मानवीय गरिमा, स्वाभिमान और विश्व बंधुत्व में
बढ़ोतरी होती है।
विद्यार्थियों को शिक्षा के माध्यम से जीवन में और
व्यवहार में सच्चाई की शिक्षा मिलती है।
विज्ञान मानवता को ईश्वर का सबसे बड़ा वरदान है। हम विज्ञान, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, राजनीति,
नीति-निर्माण, धर्मशास्त्र, न्याय जैसे किसी क्षेत्र में
कार्यरत रहें, हमें आम लोगों की सेवा करनी ही होगी,

लेकिन क्या मानव आज वास्तव में शिक्षा का सदुपयोग कर रहा है?
क्या शिक्षा ने मानव को लोभी लालची बना दिया ?
क्या शिक्षा ने समाज संस्कृति को खोखला कर दिया ?
आखिर क्यों शिक्षा पहले नही हुआ करती थी क्यो केवल उच्च वर्ण के लोग ब्राह्मण शिक्षा ग्रहण किया करते थे?
और क्यों अब यह शिक्षा इतने तेजी से कलयुग के इस समय मे बढ़ रही है ।

शिक्षा का उद्देश्य

यदि शिक्षा प्राप्त करके मानव परमात्मा की खोज नही करता तो यह शिक्षा व्यर्थ है।
शिक्षा का उद्देश्य केवल भगवान को पहचाना ही है लेकिन मानव ने शिक्षा को केवल धन प्राप्ति का जरिया मान लिया और अधिक धन के कारण पाप कर्मों को बढ़ा लिया ।
शिक्षा ने मानव को अहंकारी व मर्यादा हीन बना दिया। आज शिक्षा का उद्देश्य यही बना लिया है कि बढ़िया शिक्षा ग्रहण करके बढ़ा, अधिकारी, बढ़ा पैसे वाला बनू, बहुत पैसे कमाऊ , खूब ऊपर का पैसा कमाऊ।
यही सोच रहती के बढ़ा अधिकारी बनू, MP, MLA बनू, IAS IPS  बनू, मंत्री बनू बहुत पैसे आये ।
सिर्फ माया यानी पैसा जोड़ना ही उद्देश्य रह जाता है।
क्या यही उद्देश्य है शिक्षा का ?
नही।
यह कार्य तो एक गोबर का भुंड भी किया करता है
जो केवल गोबर इकठ्ठा करने में ही अपना जीवन लगा देता है और अंत मे उसी में मर जाता है। ऐसे ही आज मानव यह माया जोंडने में सारी उम्र लगा देता है और दो नम्बर का काम करके रिष्वत लेकर, ठगी करके, झूठ कपट करके ,दुसरो को धोखा देकर पैसे इकट्ठा करते है और मर जाते है पैसे वही रह जाते है और साथ पाप की बोरी भर कर ले जाते है।
और फिर उसे अगले जन्म में पशु या अन्य जीव बनकर उसे पूरा करना पड़ेगा।
परमात्मा बताते है कि
तुमने उस दरगह का मेल न देख्या,
   धर्मराज के तिल तिल का लेखा।।

भगवान ने शिक्षा इसलिए दी है ताकि आप भगवान पहचान सको क्योंकि शिक्षित होने से आप पवित्र शास्त्रो को देख सकते हो कि कौन है भगवान ।
क्योंकि पहले शिक्षा के अभाव में शास्त्रो को जैसे बताया गया मान लिया उनमें जो सत्य ज्ञान था वो नही मिला जो बताते है कि पूर्ण परमात्मा कबीर है
जो हर युग मे आते है और तत्वदर्शी संत की भूमिका भी करते है ।
अतः शिक्षा के मूल उद्देश्य को जानो और अपना कल्याण करवाओ


अतः आज वही पूर्ण परमात्मा संत रूप में स्वयं आये है जो कि संत रामपाल जी महाराज स्वयं है कहने में अजीब लगेगा लेकिन जब आप इस तत्वज्ञान से परिचित होंगे तो जान जाओगे की पूर्ण सन्त कौन है।
अधिक जानकारी के लिए देखिए सत्संग साधना tv 7:30 pm
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सृष्टि की रचना कैसे हुई?
हम जन्म से पहले कहां रहा करते थे?
हम क्यों पैदा होते हैं, हम क्यों मरते हैं और मरने के बाद कहां जाते हैं?
क्या कोई ऐसा सुखमय स्थान है जहां जाने के बाद कभी मृत्यु नहीं होती, न बुढापा आता, जहां किसी वस्तु का अभाव नहीं, जहां कोई काम नहीं करना पड़ता?
इतनी भक्ति करने के बाद भी हम दुखी क्यों हैं, आपदाएं क्यों आती हैं?
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Wednesday, July 1, 2020

Who is Real God ?

पूर्ण परमात्मा कौन है

आज हर कोई प्राणी इस काल लोक में परेशान है अर्थात हम जिस पृथ्वी पर रह रहे है इसे मृत्यु लोक भी कहा जाता है यहां सुख नाम की कोई वस्तु है ही नही । और जिसे हम सुख मान रहे है वो सुख झूठा है । जब मानव चारो और से दुखी हो जाता है तो वह भगवान की और बढ़ता है
लेकिन कहि पर भी सत्य साधना न मिलने के कारण  नकली धर्मगुरुओं , नकली पंडितो, नकली ब्राह्मण द्वारा मानव बतायी क्रियाए करने पर भी दुखो व परेशानियों  का समाधान न होने के कारण वह निराश हो जाता है और नास्तिकता पर चला जाता है और उन्हें कह दिया जाता है कि पाप कर्म तो भोगने से ही दूर होंगे ।
जबकी यह गलत धारणा है।
परमेष्वर के विधान में लिखा है कि भगवन घोर पाप को भी नाश कर देता है।

अतः सबसे पहले मानव को जानना होगा कि पूर्ण परमात्मा कौन है जो वास्तव में हमे सुख दे सकता है जिनका गुणगान वेद करते है।

जिन भगवानों की दुनिया भक्ति पूजा करती है यानी ब्रह्मा , विष्णु, महेश(शिव) की क्या इनकी लीलाएं , इनकी जीवनी वेदों से खरी उतरती है ?
क्या वेदों में इनका प्रमाण है ?
क्योंकि वेदों को हम पवित्र मानते है जो कि आदि सनातन है जिनका सार रूप में श्रीमद्भागवत गीता जी है
वेद कहते है कि वो परमात्मा कभी किसी माता के गर्भ से जन्म नही लेता वह अजन्मा है

और
वेद यह भी कहते है वो परमात्मा शिशु रूप धारण करके इस काल लोक में आता है अपने तत्वज्ञान को देने, जीव को इस काल की बन्ध से छुड़वाने के लिए तो उनके बचपन की परवरिश की लीला कुंवारी गायों के दूध से होती है।
यह लीला जिसने की वह भगवान हुआ।


यह लीला केवल और केवल कबीर साहेब ने ही कि हे जिससे भी सिद्ध होता है कि कबीर साहेब ही भगवान है Kabir Is God जो अजर अमर है । नाशवान नही है।

ऐसे ढेरो प्रमाण है कि कबीर साहेब ही भगवान है Kabir Is God
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Wednesday, June 17, 2020

Krishna Janmashtami special

कृष्ण जी की समर्थता

हिन्दू धर्म मे श्री कृष्ण जी के जन्म उत्सव को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।। उनकी लीलाओं को याद किया जाता है उनकी कथाएँ की जाती है उनकी पूजा अर्चना की जाती है। 
श्री कृष्ण जी ने कंस, केसी, चानोर, पूतना जैसे दानवों का अंत किया। उनके गुणगान गाये जाते है।
आज हर कोई हिन्दू धर्म के मानने वाला कृष्ण जी के चरित्र से परिचित है।
लेकिन दोस्तो कुछ शंकाएं आती है जिसका समाधान होना भी जरूरी है ।
अगर हम उनकी लीलाओं ,उनके बारे में जाने की क्या श्री कृष्ण जी ही अखिल ब्रह्माण्ड के मालिक है या और कोई है ??
अगर हम कबीर जी के बारे में जानकारी ले तो चौकाने वाले खुलासे सामने आते है। जिनके सटीक प्रमाण मिलते है कि वह भगवान है सुनने पर यकीन करना नामुमकिन सा लगता है लेकिन पवित्र शास्त्र जैसे गीता, वेद, बाइबिल, क़ुरान, गुरु ग्रन्थ साहेब तथा उन महापुरुषों की वाणियों से पता चलता है कि कबीर साहेब ही भगवान है।
तो आइये श्रीकृष्ण जी और कबीर साहेब की लीलाओं पर विचार करते है कि कौन है समर्थ ।

जैसे.......

  • श्रीकृष्ण जी ने मोर ध्वज के पुत्र तामर ध्वज को आरे से कटवाकर जीवित कर दिया लेकिन वह अपनी ही बहन सुभद्रा के पुत्र अभिमन्यु को जीवित नही कर सके अर्थात उनके स्वास नहीं बढ़ा सकें।

जबकि कबीर साहेब ने दिल्ली के बादशाह सिकन्दर लोधी के धार्मिक गुरु शेखतकी की पुत्री जो म्रत्यु उपरांत कब्र में दबा दी थी उसे जीवित किया।
उसके श्वास बढ़ा दिये। जबकि अभिमन्यु के श्वास शेष नही थे जिन्हें कृष्ण जी जीवित न कर सके।

वेदों में प्रमाण 

  •  श्रीकृष्ण जी 16 कला के स्वामी है जबकि कबीर साहेब असंख्य कलाओं के मालिक है।
  • श्रीकृष्ण जी अर्थात विष्णु जी स्वयं कहते है कि हम तीनो देवो ब्रह्मा, विष्णु, महेश की जन्म म्रत्यु होती है जबकि कबीर साहेब अजन्मा है।
  •  श्रीकृष्ण जी की बचपन में परवरिश गायों के दूध और मक्खन से हुई । जबकि कबीर साहिब जी की परवरिश वेदोक्त कुंवारी गाय के दूध से हुई ।

  • कृष्ण जी की भक्ति से बैकुंठ लोक जाएंगे । वहां से पुण्य समाप्त होते ही वापिस लख चौरासी में आना पड़ेगा                              जबकि पूर्ण परमात्मा की भक्ति करके सतलोक जा सकते हैं । जहां जाने के बाद जन्म मृत्यु समाप्त हो जाती है । 


अतः इससे स्पष्ट है कि श्री कृष्ण जी तो केवल तीन लोक के प्रभु है जिन्हें त्रिलोकीनाथ भी कहते है। जबकि कबीर साहेब असंख्य ब्रह्माण्ड के मालिक है प्रभु है।
कबीर साहेब ही समर्थ भगवान है भगवान को पहचानने के लिये तत्वदर्शी सन्त की शरण मे जाना हो होगा वो ही उस परमात्मा की पूर्ण जानकारी देते है। वो सन्त और कोई नही बल्कि जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही है।

अधिक जानकारी के लिए देखिए सत्संग साधना tv 7:30 pm पढ़े पवित्र पुस्तक ''ज्ञान गंगा' | पुस्तक निःशुल्क प्राप्त करने के लिए। अपना नाम , पूरा पता , मोबाइल नंबन हमें Whatsapp करें . +91 7496801823


Wednesday, June 10, 2020

Hidden Mysteries in the Holy Bible.

 Mysteries in The Bible.

The Holy Bible is a scripture that is accepted by the entire world today and there are many Christians all over the world who believe in Jesus.  And they also consider that which is written in the Bible.  Believe in the Holy Bible.  But they could not know the real secret of the Holy Bible or say that They have not found anyone who can tell the real mysteries of the Bible.

So let us know that some unknown secrets of the Bible which have been revealed by a great Chyren , Keep reading

🔷‌God is in Form 🤔❓

People believe that God is formless whereas God is real not Formless .  And till date everyone has been saying that God is formless He is the only divine light. It's wrong

Evidence ..

🔹Genesis 1:26 & 1:27- Holy Bible
 Then God said, "And now we will make human beings; they will be like us and resemble us."
 If we resemble Him, it means God is in Form.
God created human beings, making them to be like himself. He created them male & female.
 God created us in His own image, hence it is proved that God is not formless
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🔹 Holy Bible, Genesis 18:4
 ​"Please, let a little water be brought and have your feet washed; then recline under the tree."
 Abraham requests God's feet to be washed and then God reclines under a tree.
🔹 Holy Bible - Genesis 3:8
 "That evening they heard the Lord God walking in the garden and they hid from him among the trees."
 They heard the God walking -

 All above proof  cleared that "God is in Human form".


🔷‌Eating meat is not God's order.


God has ordered humans to eat vegetarian food. It is not God's order to eat meat. To eating meat is a henious sins.

Reality and Proof 👇

🔹Holy Bible - Genesis 1:29
"I have provided all kinds of grain and all kinds of fruit for you to eat"
 God gave us grains and fruits. But He never allowed us to kill His beings for the taste of tongue.

‌ Holy Bible proved that God Is Kabir not Jesus

Jesus is the Son of God Not self God.
God is Kabir

🔹Iyov 36:5 - Orthodox Jewish Bible
Holy Bible proves "Kabir is the Almighty God".
 See, El is Kabir, and despiseth not any; He is kabir in ko’ach lev (strength of understanding).
 God is Kabir, but despises no one. He is Kabir, and firm in his purpose.

🔹Bible, Luke 24:46-47.
 'This is what is written: The Christ will suffer and rise from the dead on the third day.'
 Jesus died. But do you know Supreme God "Kabir" Himself came on the third day to keep the faith of His souls.

🔹 Bible, 2 Peter 1:19-21
"For no prophecy was ever produced by the will of man, but men spoke from God as they were carried along by the Holy Spirit.”
 It proves that the holy books or the scriptures are sent by God Himself. They are not wrong.



Hence...
It is clear from the above evidence of the Bible that God is in Form.  He is like a human, i.e. he is not formless.  God has not ordered humans to eat meat.  God has ordered man to eat vegetarian food.  God did not order to kill the creatures but asked to control those creatures.
Similarly, many Holy scriptures like Veda, shrimadbhagavat Gita, Quran, Guru Granth saheb etc. prove that God is real.  He is like a human being and God has not ordered man to eat meat but those who eat meat are part of gross sin.

So , Jagatguru Tattvarshi Saint Rampal Ji Maharaj has revealed all these secrets.  Those who are truly complete saints and liberators of the world have revealed the secret of all the sacred scriptures and told that the complete God is Kabir who is real.

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BhaiDooj

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